हम है CID
खून के सिवा हमे कुछ दिखता ही नहीं
खुनी को पकडे बिना हम रहते भी नहीं
दया और अभिजीत है CID की जान
हिटलर ACP के गुस्से की है अलग शान
दया की थप्पड से है मुजरीमोंको डर
CID के सामने है सबकुछ बेअसर
फ्रिडी की कॉमेडी है सबसे कमाल
अभिजीत और तरीका के बीच है सालूंखे साहब
विवेक की शरारतोंसे फ्रिडी परेशान
ACP से की फ्रीडीने शिकायत
फोरेन्सिक एक्स्पर्ट है सालूंखे साहब
इतनीसी चीज से निकाले इतना बडा सुराग
सचिन और काजल की है जोडी लाजबाब
CID से टक्कर लेना पडेगा महेंगा बॉस
ही कविता माझ्या मुलीची आहे, ती आत्ता ६ वी इयत्तेत शिकते आहे, आणि CID पहायला तिला खूप आवडते.
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